गिर गए हो तो क्या फिर से उठो हुज़ूर
बस किसी की आँखो से न गिरो हुज़ूर
न जाने कौन कब कहां काम मे आए
सब से मुहब्बत से मिला करो हुज़ूर
जिस्म तो इक दिन माटी हो जाना है
खूबसूरती पे इतना गुरूर न करो हुज़ूर
हर वक़्त पैसा पैसा भजा करो मगर
दिन मे दो पल राम को भी भजो हुज़ूर
गैरों से तो आप मिलते हो रोज़ रोज़
कभी तो आके हमसे भी मिलो हुज़ूर
मुकेश इलाहाबादी......
बस किसी की आँखो से न गिरो हुज़ूर
न जाने कौन कब कहां काम मे आए
सब से मुहब्बत से मिला करो हुज़ूर
जिस्म तो इक दिन माटी हो जाना है
खूबसूरती पे इतना गुरूर न करो हुज़ूर
हर वक़्त पैसा पैसा भजा करो मगर
दिन मे दो पल राम को भी भजो हुज़ूर
गैरों से तो आप मिलते हो रोज़ रोज़
कभी तो आके हमसे भी मिलो हुज़ूर
मुकेश इलाहाबादी......
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