दुआ सलाम तक ही सीमित रह जाते हैं
कुछ रिश्ते चाह कर भी नहीं बढ़ पाते हैं
राह में या भीड़ में ही मुलाकात होती है
आँख मिलती है और आगे बढ़ जाते हैं
दिल जिन्हे उम्र भर के लिए चाहे है वे
मिलते हैं और मिल के बिछड़ जाते हैं
कुछ लोग चन्दन की सिफ़त रखते हैं
वो खुशबू की तरह आते हैं चले जाते हैं
कुछ ऐसे भी सितमगर होते हैं मुकेश
हक़ीक़त में नहीं बस ख्यालों में आते हैं
मुकेश इलाहाबादी ----------------