कहते हैं लोग तू मुस्कराता ही नहीं
क्या करूँ मर्ज़ दिल का जाता ही नहीं
क़ैद हो के रह गया हूँ तन्हाइयों मे
अर्सा हुआ कहीं आता जाता ही नहीं
लिखता हूँ ख़त मे जाँ निकाल के
बे मुरव्वत का जबाव आता ही नहीं
रहता हूं हर वक़्त इश्क के नशे मे
मुकेश है कि होश मे आता ही नहीं
मुकेश इलाहाबादी,,,,
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