Pages

Monday, 6 August 2012

इक लम्हे के लिए ही सही

पलकें तो उठाओ ,
इक लम्हे के लिए ही सही
गुफ्तगू कर लूंगा,
पल भर में इशारों में ही सही
एक बार इकरार तो कर दे
होठों से नहीं, तो इशारों से ही सही
वैसे तो ज़िन्दगी कट ही जायेगी
वो तेरी बज़्म में हो
या तेरी यादों मे ही सही

मुकेश इलाहाबादी ---------------

No comments:

Post a Comment