ज़िन्दगी इम्तहान हो गयी
ज़िन्दगी इम्तहान हो गयी
बूढ़े की थकान हो गयी
कोई गाहक नहीं आता
गरीब की दूकान हो गयी
परिंदे भी नहीं चहकते
हवेली वीरान हो गयी
बाढ़ के बाद खेती
महज़ लगान हो गयी
बोझ बढ़ता ही जा रहा
बैल की लदान हो गयी
लफंगे खुश हो गए कि
लडकी जवान हो गयी
फ़क़त उल्लू बोलते हैं
बस्ती शमशान हो गयी
मुकेश इलाहाबादी -------
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