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Monday, 9 November 2015

यारा ओ दिलदारा लगता है

यारा ओ दिलदारा लगता है 
तू  मुझको प्यारा  लगता है 
है संग तेरे,  दुनिया ज़न्नत  
वर्ना संसार अधूरा लगता है 
अज़नबियों के इस शहर में 
सिर्फ तू ही अपना लगता है 
जब बात करे है खट मिट्ठी 
तू कच्चा अमिया लगता है  
कच्चे दूध सी  उज्वल हँसी 
सच तू बेहद सोणा लगता है 

मुकेश इलाहाबादी ---------

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