ज़िंदगी
अगर हिना की पत्तियां होती
तो कसम से
उन्हें तोड़ के, पीस के
तेरे हाथों पे ढेर सारे
बेल बूटे बना देता
फिर रच जाने के बाद
तुम्हारी खूबसूरत महकती हथेलियों पे
अपने होठं रख के भूल जाता
क़यामत आने तक
और महसूस करता रहता
तुम्हारे चेहरे पे एक प्यारी मुस्कान देर तक
शायद क़यामत आने तक
मुकेश इलाहाबादी --------------
अगर हिना की पत्तियां होती
तो कसम से
उन्हें तोड़ के, पीस के
तेरे हाथों पे ढेर सारे
बेल बूटे बना देता
फिर रच जाने के बाद
तुम्हारी खूबसूरत महकती हथेलियों पे
अपने होठं रख के भूल जाता
क़यामत आने तक
और महसूस करता रहता
तुम्हारे चेहरे पे एक प्यारी मुस्कान देर तक
शायद क़यामत आने तक
मुकेश इलाहाबादी --------------
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