अभी परों में जान बाकी है
हौसलों की उडान बाकी है
कुछ और दर्द दे सकते हो
होठों पे मुस्कान बाकी है
तुम तो अभी से रोने लगे
असली दास्तान बाकी है
ज़िंदगी की पाठशाला में
कई इम्तिहान बाकी हैं
स्याह खामोशी अभी भी
हमारे दरम्यान बाकी है
मुकेश इलाहाबादी ------
हौसलों की उडान बाकी है
कुछ और दर्द दे सकते हो
होठों पे मुस्कान बाकी है
तुम तो अभी से रोने लगे
असली दास्तान बाकी है
ज़िंदगी की पाठशाला में
कई इम्तिहान बाकी हैं
स्याह खामोशी अभी भी
हमारे दरम्यान बाकी है
मुकेश इलाहाबादी ------
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