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Saturday, 2 February 2019

लोहा और नमक

तुम
थामे रहोगे अपने घर की छत
और दीवारें
बने रहोगे आधारस्तम्भ
अपने राष्ट के
अपने समाज के
जब तक बचा रहेगा
बना रहेगा तुम्हारे जिस्म का लोहा
लिहाज़ा -
ज़िंदगी से लोहा लेते रहा करो - मेरे यार

अपने
अंदर के समंदर को हरहराने दो
उसमे ज्वार -भाटा आते रहने दो
इसे सूखने मत दो
क्यों कि समंदर में नमक होता है
और नमक से ही जीवन में स्वाद होता है

इसलिए - अपने समंदर को सूखने मत दीजिये
और नमक को बचाए रखिये



मुकेश इलाहाबादी ---------------


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