तुम
थामे रहोगे अपने घर की छत
और दीवारें
बने रहोगे आधारस्तम्भ
अपने राष्ट के
अपने समाज के
जब तक बचा रहेगा
बना रहेगा तुम्हारे जिस्म का लोहा
लिहाज़ा -
ज़िंदगी से लोहा लेते रहा करो - मेरे यार
अपने
अंदर के समंदर को हरहराने दो
उसमे ज्वार -भाटा आते रहने दो
इसे सूखने मत दो
क्यों कि समंदर में नमक होता है
और नमक से ही जीवन में स्वाद होता है
इसलिए - अपने समंदर को सूखने मत दीजिये
और नमक को बचाए रखिये
मुकेश इलाहाबादी ---------------
थामे रहोगे अपने घर की छत
और दीवारें
बने रहोगे आधारस्तम्भ
अपने राष्ट के
अपने समाज के
जब तक बचा रहेगा
बना रहेगा तुम्हारे जिस्म का लोहा
लिहाज़ा -
ज़िंदगी से लोहा लेते रहा करो - मेरे यार
अपने
अंदर के समंदर को हरहराने दो
उसमे ज्वार -भाटा आते रहने दो
इसे सूखने मत दो
क्यों कि समंदर में नमक होता है
और नमक से ही जीवन में स्वाद होता है
इसलिए - अपने समंदर को सूखने मत दीजिये
और नमक को बचाए रखिये
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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