हम सो रहे हैं,
हमे सोना अच्छा लगता है
हम बारह सौ साल से सो रहे हैं
आज भी सो रहे हैं
आगे भी सोते ही रहेंगे
शक आये
हून्ड आये
मुगल आये
कृस्तानी आये
उन्होंने हमारे देश मे बड़े बड़े अत्याचार किये
उन्होंने हमारे मठ मंदीर उजाड़ दिये
औरतों की अस्माते लूट ली
हमारे सारे ग्रंथ जला दिये
पर हम तो तब भी नही उठे
क्यूँ कि हमे सोना बहुत अच्छा लगता है
हमे सोना इसलिए भी अच्छा लगता है
क्योंकि,
सोया हुआ आदमी भड़काऊ भाषण नही देता
सोया हुआ आदमी दंगे नही करता
सोया हुआ आदमी हिंसा नही करता
सोया हुआ आदमी बुरा नही करता
सोये हुए आदमी को
भूख नही लगती
सोये हुए आदमी को प्यास नही लगती
अगर कभी
भूख और प्यास से नींद खुली भी तो
वो खा पी कर फिर सो जाता है
यहाँ तक कि अच्छे अच्छे पकवान के सपने दिखा दो तो भी सो जाता है
हम सोये सोये ही
पूरी धरती
सारे गृह नक्षत्र और
पूरा बृह्मांड घूम आते हैं
स्वर्ग और नर्क हो आते हैं
हम सोये सोये
इस बात के भी सपने देख लेते है
कि हमारे पुरखे बहुत ज्ञानी और समृद्ध थे
इसलिए हम भी परम ज्ञानी और परम संतुष्ट लोग हैं
ऐसा नही हम लोग हमेशा शांति से सोये रहे हैं
कई बार
हम सोये हुए लोगों को
कई बार जागे हुए लोगों को जगाने की
बहुत कोशिश की
पर हम सोये हुए लोगों ने
जगे हुए लोगों को भी मौत की नींद सुला दी
और फिर हम चादर तान के सो गए
तो फिर हम इस कविता से क्या जागेंगे
लिहाजा तुम भी सो जाओ मुक्कू बाबू
और हमे भी सोने दो
हां अगर तुम्हारे पास
कोई अच्छी सी लोरी हो तो ज़रूर सुना दो
ताकि एक बार फिर मै सो जाऊँ गहरी नींद मे
वैसे भी हम सोये हुए लोगो
को क्या फर्क पड़ता है
मणिपुर मै औरतें नंगी घुमाई जाएं
मेवात मे भक्तो पे पत्थर फेंके जाएं
गाय माता कटती जाये
धर्म के नाम पे दंगे फैलाये जाएं
वोट के नाम पे गले काटे जाये
हमे तो बस हमारी नींद प्यारी है
मै तो एक बार फिर कहूंगा मुक्कू बाबू
तुम भी सो और हमे भी सोने दो
वैसे भी बाहर बहुत अंधेरा है
मुकेश इलाहाबादी,,,,,,,,,
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