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Saturday, 30 March 2019

"मास " का फूल

वह
चम्पा चंपा तो नहीं
पर उसका नाम "चम्पा" हो सकता है
वो गुलाबी नहीं
पर उसका नाम गुलाबो हो सकता है
वो गेंदा जैसी भी नहीं 
पर उसका नाम गुलाबो भी हो सकता  है
वैसे वो एक अलग प्रजाति का फूल होती है
जो  "मास " का फूल होता है
जिसका रंग चम्पा जैसा होता है
गाल गुलाब से होते  हैं
हँसी गेंदा सी होती है
जिसकी खिलने के पहले ही
खुशबू देवता - दानव और सभी मनुष्यों तक
पहुंच चुकी होती है
कोइ मानुष उसे तोड़ अपने गुलदान में लगाना चाहता है
कोइ देवता इस अभिलाषा में होता है
कि ये फूल मुझे भी चढ़ाया जाए
तब तक कोइ दानव उस मास के फूल को
तोड़ के रौंद चूका होता है
या गुलदान में भी सजा तो वो मानुष उसे दो चार
दिन बाद भूल चूका होता है

कई बार ये "हाड मास " का फूल सोचता है
काश मै न ही खिला होता

पर फूल का खिलना न खिलना
उसके हाथ में कहाँ होता है

मुकेश इलाहाबादी ------------------

Thursday, 28 March 2019

लोग खुश हैं हीरे मोती नगीने ले कर

लोग खुश हैं हीरे मोती नगीने ले कर
हम इन सब से रईस तेरी यादें ले कर

हमने तेरी तस्वीर सीने में छुपा ली है
ज़माना फिर रहा चाँद सितारे ले कर

खरीद लाए हैं लोग सूरज घरों के लिए 
हम तो लौटे तेरी हँसी के उजाले ले कर

मुकेश इलाहाबादी --------------------

Wednesday, 27 March 2019

अगर कोई तुमसे नाराज़ न होगा

अगर कोई तुमसे नाराज़ न होगा 
समझ लेना उसको प्यार न होगा 

तुम्हारे सच को भी झूठ समझेगा 
जिसको तुम पर एतबार न होगा  

कोइ छेड़छेड़ क्यूँ हर बार बोलेगा 
अगर वो  तेरा  तलबगार न होगा 

कोई भला तुमसे कुछ मांगेगा क्यूँ 
जब तक तुमपे इख्तियार न होगा 

रूठ के जाए फिर लौट कर न आए 
समझ लेना वो सच्चा यार न होगा 

मुकेश इलाहाबादी ----------------

Tuesday, 26 March 2019

जाने क्या सोच के हम आप की बेरुखी सह जाते हैं

जाने क्या सोच के हम आप की बेरुखी सह जाते हैं
न आप से गुस्सा हो पाते हैं न आपको छोड़ पाते हैं

मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------

Monday, 25 March 2019

दिल मोम होता पिघला के दूसरा बना लेते

दिल मोम होता पिघला के दूसरा बना लेते
टूट जाता तो किसी और से दिल लगा लेते 

तुम्हारे पास बहुत बहाने हैं हंसने हंसाने को
हमसे भी कभी मिलते हम भी हंस हँसा लेते

कई किस्से तुम्हारे पास हैं कई मेरे पास भी
मिलो बैठो अपना सुख दुःख सुन सुना लेते

ये बेहद की बेरुखी अच्छी नहीं लगती  मुक्कू
नाराज़गी वजह बताते हम हरगिज़ मना लेते

इतने नज़दीक आ के झटके से तुम हट गईं
अगर कुछ और पास आ जाते तो बोसा लेते


मुकेश इलाहाबादी ---------------------------

हवा में खुशबू फ़िज़ाओं में रंग भर जाते हैं

हवा में खुशबू फ़िज़ाओं में रंग भर जाते हैं
आप आते हो तो हम खुशी से झूम जाते हैं

पहले हमको स्याह रंग से बड़ी मुहब्बत थी
आप से मिल के गुलाबी और लाल भाते हैं

असल वज़ह तो हमको मालूम नहीं मुकेश
आप के जाने के बाद देर तक मुस्कुराते हैं

मुकेश इलाहाबादी -----------------------

परिन्दें कुछ पिंजड़ों में कुछ घोंसलों में उदास बैठे हैं

परिन्दें कुछ पिंजड़ों में कुछ घोंसलों में उदास बैठे हैं
जब से जंगल जमीन और आसमा  रेहन रखे गए हैं

चोरी -डकैती - राहजनी उसी तरह बदस्तूर जारी है
हाकिम कहता है हमने घर - घर चौकीदार रक्खे हैं

मुकेश इलाहाबादी -------------------------

जाने क्या सोच के

जाने क्या सोच के हम आप की बेरुखी सह जाते हैं
न आप से गुस्सा हो पाते हैं न आपको छोड़ पाते हैं

मुकेश इलाहाबादी -----------------------------------

Sunday, 24 March 2019

कभी लाल कभी गुलाबी तो कभी हरा हो जाता है

कभी लाल कभी गुलाबी तो कभी हरा हो जाता है
प्यार में होती हो तो तेरा रंग और निखर जाता है

कॉलेज नहीं स्कूल नहीं एक भी यूनिवर्सिटी नहीं
फिर ये शोख़ियाँ ये अदाएँ तुम्हे कौन सिखाता है

तंत्र नहीं मन्त्र नहीं कोइ टोना - टोटका भी नहीं
क्या वज़ह है हर शख्स तेरे जादू में आ जाता है

जब भी देखा तुझे खामोश और गुमशुम ही देखा
रात करवटें बदलते नींद में कौन कुनमुनाता है 

मुकेश इलाहाबादी --------------------------------

Monday, 18 March 2019

उदास दोपहर

वो
एक उदास दोपहर थी
नहीं -नहीं वो एक उदास शाम थी
नहीं नहीं वो एक उदास रात थी
खैर छोड़ो क्या फर्क पड़ता है
वो उदास दिन था - उदास साँझ थी या रात थी
ये तो तय है वो
एक उदास लम्हा था
अजीब सी मनहूसियत थी
वज़ूद में इक बेचैनी सी तारी रहती थी
जो उस वक़्त भी बहुत घनी भूत हो के छाई थी

"मै" रोज़ सा एक बी के नोटिफिकेशन पेज को स्क्रॉल कर रहा था
सहसा - एक पिक पे नज़र आ के ठिठक गयी
खूबसूरत आँखे - भरे -भरे गाल
प्यारे मूँगिया होठ - बस - यूँ ही आदतन कह लो या
न जाने किस अंतःप्रेरणा वश उंगली - "सेंड फ्रेंड रिक्वेस्ट " पे अनायास दब गयी
और ये महज़ एक साधारण बात समझ अपनी याददास्त के कोने में
रख के भूल भी चुका था

पर मुझे क्या मालूम आज मैंने - आभासी दुनिया में उस बटन को दबाया है -
जो बहुत बड़ा फलक बनने जा रहा है।
खैर -----
दो चार दिन बाद  उस गुलाबी गालों वाली ने मेरी फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली।

मेरी कुछ रचनाए उसने पसंद की - मैंने वाल पे धन्यवाद दिया
मैसेंजर पे - औपचारिक बातें हुई
मैंने - अपनी एक कहानी भेजने और प्रतिक्रिया के लिए कहा - उसने "हाँ " बोला
मैंने एक कहानी भेजी - तीसरे दिन - मेसेज -"अच्छी कहानी है " मै खुश हुआ
दूसरी कहानी भी पढ़ने का रिक्वेस्ट - "जी भेजिए " गुलाबी गालों वाली क्यूटी का जवाब था
फिर तीसरी - फिर चौथी
फिर औपचारिक बातों का सिलसिला
फिर ये औपचारिक बातें कब अनौपचारिक बातों में तब्दील हुई - पता ही न लगा

कब उदास सुबहें - नहीं नहीं दोपहर - नहीं नहीं शाम -
खिलखिलाने लगी पता ही न लगा -

कब ये आभाषी दुनिया - सजीब - सुंदर  और बेहद रंगीन लगने लगी पता ही न लगा

और - बस तब से
आज कल "मै" हूँ
और मेरी क्यूटी है है 


मुकेश इलाहाबादी --------------------------------------------

भक्ति मार्ग

कलयुग में ईश्वर प्राप्ति का सबसे सहज और सरल उपाय - हमारे शास्त्रों में "भक्ति मार्ग " को ही माना है।

कलयुग में -  हवा - पानी - भोजन, आचार - विचार, रहन - सहन  सब कुछ अशुद्ध और अव्यवस्थित हो
चुका होता है  और ऐसे में ईस्वर प्राप्ति के लिए योग - जप - तप - ध्यान या अन्य मार्ग बहुत कठिन हो
चुके होते हैं - सच्चे और सिद्ध गुरुओं का अकाल हो चूका होता है - ऐसे में भक्ति मार्ग ही एक ऐसा साधन
है जिसके द्वारा मनुष्व इश्वर को सहज व् सरल तरीके से प्राप्त कर सकता है -
भक्ति मार्ग एक ऐसा मार्ग है - जिसमे किसी गुरु - साथी - या समूह की ज़रुरत नहीं होती है -
मनुष्य अकेले ही भक्ति कर कर के इश्वर को प्राप्त कर सकता है  और पूर्व में भी कइयों ने पाया है -
इसी कलियुग में -तुलसी दास , मीराबाई, चैतन्य महाप्रभु , रामकृष्ण परमहंस - राम कृष्ण जैसे महापुरुषों
ने भक्ति मार्ग के द्वारा न स्वयं अपना उद्धार किया बल्कि - हज़ारों हज़ार लोगों का उद्धार किआ और
उनके बताए मार्ग में चल कर या उनसे प्रेरणा ले कर आज भी मनुष्य लाभान्वित हो रहा है।

भक्ति के लिए - सिर्फ और सिर्फ - सम्पूर्ण समर्पण और शुद्ध भाव की आवश्यकता होती है -
यदि किसी के अंदर ये दोनों हैं तो उसे इश्वर तक पहुंचने से कोइ रोक नहीं सकता -


भारतीय दर्शन में भक्ति के ये नौ प्रकार बताए गए हैं

श्रवणं कीर्तनम विष्णो स्मरणम पादसेवनम
अर्चनं वन्दनं दास्यमा सख्ममात्मनिवेदनम 


मुकेश इलाहाबादी ------------------

Sunday, 17 March 2019

तुमसे मतलब

हम 
पिछवाड़े से 
प्रजातंत्र की जगह 
पूंजीतंत्र लायेंगे 
तुमसे मतलब 

हम स्वाभिमान की 
सूखी प्याज रोटी की जगह 
गुलामी की दूध रोटी खायेंगे 
और कुत्ते सा पूँछ हिलाएंगे 
तुमसे मतलब  

हम हवा - पानी 
देवी देउता,
आस विस्वास सब बेच देंगे  
तुमसे मतलब 

चोरों को चौकीदार कहें 
तुमसे मतलब ?

हम छद्म राष्टवाद को देशभक्ति कहें 
तुमसे मतलब 


मुकेश इलाहाबादी ----------


Thursday, 14 March 2019

नाव

तुम्हारे
नाम का ख़त लिख के
नाव बना दी है
कागज़ की
और - बहा दिया है
वक़्त की नदी में - ये सोच कर
शायद ये थपेड़े खा खा कर किसी दिन
तुम तक पहुंच ही जाये
और तुम इसपे बैठ के
आ जाओ मुझ तक

फिर हम करें केलि - देर तक
अनंत काल तक

मुकेश इलाहाबादी -------------

मस्सा

ये
जो तुम्हारे
बाएं वाली गुलू - गुलू गाल पे
छोटा सा - नन्हू सा
भूरे रंग का मस्सा है
थोड़ा काला
थोड़ा भूरा
क्यूट सा
बस - जी चाहता है
अपने होठो को गोल - गोल करूँ
और रख दूँ इस
नन्हू से शरारती मस्से पे
हमेसा हमेसा के लिए

मुकेश इलाहाबादी -----------------------------

Wednesday, 13 March 2019

जाने क्यूँ

ईश्वर
से कुछ माँगते वक़्त
तुम्हारा ही ख़्याल क्यूँ आता है ?

मद्धिम - मद्धिम हवा चल रही हो
और मौसम खुशगवार हो तो
ये मन तुम्हारा ही साथ क्यूँ चाहता है ?

सुःख - दुःख तुमसे ही
बतियाने को जी क्यूँ चाहता है ?

मौसम की पहली बारिस में
तुझ संग भीगने की जी करता है

जाने क्यूँ

होली में सबसे पहले
तेरे ही गालों पे गुलाल मलने का 
जी क्यूँ  करता है ?

सुमी ! क्या तुझ संग भी ऐसा कुछ होता है ????

मुकेश इलाहाबादी -----------------------------

Wednesday, 6 March 2019

जब संकल्पवान हो जाते हैं


जब संकल्पवान हो जाते हैं 
तब हम बलवान हो जाते हैं 

राम को दिल में बसा लें तो 
हम भी हनुमान हो जाते हैं 

देश महान हो जाता है जहाँ 
इंसान चरित्रवान हो जाते हैं 

अगर बाग़ में उल्लू बैठे हो 
तो बाग़ वीरान हो जाते हैं  

जहाँ ज़िंदा कौमे नहीं रहती 
वे शहर शमशान हो जाते हैं 

मुकेश इलाहाबादी ----------