Pages
▼
Sunday, 30 September 2012
Friday, 28 September 2012
जब हुआ हो दीदार ऐ यार,
जब हुआ हो दीदार ऐ यार,
न तुम जफा देखो,
न तुम वफ़ा देखो,
बस तुम उन्हें देखो,
वो और वो तुम्हे देखें
मुकेश इलाहाबादी -----------
न तुम जफा देखो,
न तुम वफ़ा देखो,
बस तुम उन्हें देखो,
वो और वो तुम्हे देखें
मुकेश इलाहाबादी -----------
Thursday, 27 September 2012
Wednesday, 26 September 2012
एक बुलबुल से दिल लगानी की सजा हमने पायी है
एक बुलबुल से दिल लगाने की सजा पाई है
पल भर का चहकना,शामो सहर की तन्हाई है
उम्र भर जाने किस जुस्तजूं में रहा मेरा कारवां
मंजिल न मिली अबतक, फ़क़त ठोकरें पायी है
दिन आफताब सा चमकता है, रात चांदनी सी
लेकिन अपना वजूद तो कागज़ पे फ़ैली स्याही है
कफस में अपने कैद रक्खूं , ये तमन्ना तो नही,
मेरे ख्वाबे फलक पे उडती रहे, ये हशरत पाई है
चहकना और उड़ना शामिल है उसकी फितरत मे
फिर भी जाने क्यूँ उसे मेरी ही मुंडेर बहुत भाई है
मासूम बुलबुल ज़रा सी मुहब्बत पे कुहुक उठती है,
कोई उसके पर न काट दे ,, दुनिया बड़ी हरजाई है
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------------
Tuesday, 25 September 2012
तेरा जिक्र आता है,
तेरा जिक्र आता है,
तो लब खामोश हो जाते हैं
और मै डूब जाता हूं
एक अंधे कुंए मे
जहां से कोई आवाज नही आती
अक्शर,शामे तन्हाई,
तेरा जिक्र छेड़ देती है
तब दिल खामोश होता है
आंसू जवाब देते हैं
तेरा जिक्र आता है,
तो, तेरी यादों की परछांई
लम्बी हो जाती हैं
और इतनी लम्बी,कि
मेरे वजूद से भी बडी हो जाती हैं
और ,,,,,
मै खो जाता हूं
स्याह परछाई मे
शायद ,
एक अधे कुंए मे
जहां से कोई आवाज नही आती
मुकेश इलाहाबादी ----------------
तो लब खामोश हो जाते हैं
और मै डूब जाता हूं
एक अंधे कुंए मे
जहां से कोई आवाज नही आती
अक्शर,शामे तन्हाई,
तेरा जिक्र छेड़ देती है
तब दिल खामोश होता है
आंसू जवाब देते हैं
तेरा जिक्र आता है,
तो, तेरी यादों की परछांई
लम्बी हो जाती हैं
और इतनी लम्बी,कि
मेरे वजूद से भी बडी हो जाती हैं
और ,,,,,
मै खो जाता हूं
स्याह परछाई मे
शायद ,
एक अधे कुंए मे
जहां से कोई आवाज नही आती
मुकेश इलाहाबादी ----------------
Monday, 24 September 2012
Sunday, 23 September 2012
Saturday, 22 September 2012
हमारी सारी ख्वाहिशे तेरे ही दम पे हैं
हमारी सारी ख्वाहिशे तेरे ही दम पे हैं
तुमसे न इल्तजा करते तो क्या करते ?
पछता रहे हैं उनके वादे पे एतबार करके
उनपे न एतबार करते तो क्या करते ???
तुमसे न इल्तजा करते तो क्या करते ?
पछता रहे हैं उनके वादे पे एतबार करके
उनपे न एतबार करते तो क्या करते ???
Friday, 21 September 2012
Thursday, 20 September 2012
सजाओ तुम भी महफ़िल अपने हुस्न और जलवों की
सजाओ तुम भी महफ़िल अपने हुस्न और जलवों की
हम भी बैठे है फुर्सत में जाम ऐ इश्क फैलाए हुए, अब
देखना है रिंद जीतता है या - साकी
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------------------