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Thursday 29 November 2012

फर्क मौसम मे है गुलिस्ताँ मे नहीं



 फर्क मौसम मे है गुलिस्ताँ मे नहीं
वरना बाग़ भी वही मालन भी वही
अब तेरी बेवफाई की क्या चर्चा करें
वरना दिल भी वही जज्बा भी वही
फर्क ज़मी राहू की ज़द में आने से है
वरना सूरज भी वही चन्दा भी वही 








मुकेश इलाहाबादी ------------------

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