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Monday 27 May 2019

रास्ते तो हैं मगर दुश्वारियां बहुत हैं

रास्ते तो हैं मगर दुश्वारियां बहुत हैं
इश्क़ की राह मे रूसवाईयां बहुत हैं

बड़े हो गए उड़ गए सब परिंदे
घर मे मेरे अब तन्हाईयाँ बहुत है

ज़माने की जुबाँ pe ज़हर रख गया कोई
लोगों की बातों मे तल्खीयां बहुत है

सुनते रहो मुझे राह कट जाएगी
सुनाने को मेरे पास कहानियां बहुत हैं

मुकेश इलाहाबादी,,,,,,,,,

Friday 3 May 2019

तुम्हारा मुस्कुराना

तुम
मुस्कुराती हो तो
लगता है जैसे किसी ने
तपती
हुई देहं में
लेप दिया हो 
चन्दन का लेप

इस लिए तुम्हारा मुस्कुराना
मेरे जलते हुए वज़ूद के लिए बहुत ज़रूरी है
बहुत ज़रूरी

मुकेश इलाहाबादी ---------------------