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Wednesday 28 February 2018

दो मासूम शावक

जैसे,
जाड़े की नर्म धूप में
दो मासूम शावक
फुदक रहे हों
बस, ऐसा ही लगता है 
तुम्हारे हँसते हुए
उजले और कोमल गालों को देख कर
मुकेश इलाहाबादी ----------------

Monday 26 February 2018

अब कोई भी राह कोई भी मोड़ दे

अब कोई भी राह कोई  भी मोड़ दे
ज़िंदगी मुझको मेरे हाल पे छोड़ दे

सहा नहीं जाता कि कोई और खेले
ये दिल नाज़ुक खिलौना तू तोड़ दे

मुकेश इलाहाबादी ----------------

Friday 23 February 2018

काँटो के बीच फूल सा खिल जाऊँगा

काँटो के बीच फूल सा खिल जाऊँगा
तमाम दर्द लेकर भी मै मुस्कुराऊँगा

भले, तू मुझसे कितना ही नाराज़ रह
तू मेरी है मेरी है मेरी है मेरी है कहूँगा

मुकेश इलाहाबादी -----------------

Tuesday 13 February 2018

चक्रवात

जब भी चित्त शांत होता हुआ महसूस होता है 
चलने लगते हैं तुम्हारी यादों के अंधड़ 
पहले धीरे -धीरे फिर तेज़ और तेज़ और तेज़ 
इतनी तेज़ की अंधड़ अपनी जगह पे घूमने लगता है 
गोल - गोल और गोल 
जो अपनी जगह पे एक छोटे और छोटे और छोटे 
वृत्त में लीन होने लगता है 
तुम्हारी हंसी 
तुम्हारी मुस्कान 
तुम्हारी साथ बिताये सारे पल 
यंहा तक कि मै भी उस चक्रवात में 
डूबने लगता हूँ पूरा का पूरा 
रह जाता है 
सिर्फ और सिर्फ 
एक वृत्त 
शून्य में डूबता हुआ 
जिसमे सिर्फ 'तुम' हो 
और कुछ भी नहीं 
कुछ भी नहीं 
कुछ भी... 

मुकेश इलाहाबादी ---

Monday 12 February 2018

प्रेम अगर 'ठोस' होता

प्रेम
अगर 'ठोस' होता
सोने जैसा
गढ़ लेता एक 'मुंदरी'
तुम्हारे नाम की

अगर
प्रेम तरल होता
जल जैसा
ले कर अंजुरी में
आचमन कर लेता
तुम्हारे नाम से

गर होता 'प्रेम' वायु
बस जाता तुम्हारी साँसों में
चंदन बन के

जो होता 'प्रेम' पंचतत्व
तो पृथ्वी से जल
जल से वायु
वायुं से आकाश
आकाश से आत्म तत्व बन
मिल जाता तुझमे परमतत्व तत्व की मानिंद
हमेशा हमेशा के लिए


मुकेश इलाहाबादी ------------

यक्ष प्रश्न

ये
जानते हुए भी
कि, स्वप्न कभी सच नहीं होते
क्यूँ देखता हूँ
दर रोज़ तुम्हारे सपने

ये, बहुत बड़ा यक्ष प्रश्न है मेरे सामने

मुकेश इलाहाबादी --------

Saturday 10 February 2018

जैसे तुम, ढालती हो कप में, चाय,

जैसे
तुम, ढालती हो
कप में,
चाय, धीरे - धीरे
बस, ऐसे ही ढारो
अपनी हँसी धीरे - धीरे
ताकि भरता जाये
मेरा खालीपन धीरे - धीरे
कप की मानिंद

मुकेश इलाहाबादी ------------

Thursday 8 February 2018

अगर हमारे ज़ख्मो को कुरेदा जायेगा

अगर हमारे ज़ख्मो को कुरेदा जायेगा
ईंट गारा और पत्थर ही पाया जायेगा

अपने हित की बात करने जाऊँगा तो
धकियाया जायेगा गरियाया जायेगा

हमसे ही ताजमहल तामील कराया के
हमारा ही हाथ - अंगूठा काटा जायेगा

रियाया हैं हम, हम  रियाया ही रहेंगे
कोई राजा हो हुकुम चलाया जायेगा

मुकेश इलाहाबादी ------------------

Friday 2 February 2018

शायद उम्र का पहिया उल्टा चल रहा है

शायद उम्र का पहिया उल्टा चल रहा है
रोज़ ब रोज़ तेरे चेहरे का नूर बढ़ रहा है
है शायद आफताब भी तेरी मुहब्बत में
तभी तो उसका तन - बदन जल रहा है

मुकेश इलाहाबादी -----------------------