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Thursday 20 October 2016

चंदन सा महकता है कोई

चंदन सा महकता है  कोई
साँसों में बस गया है कोई
जब जब तुमसे मिलता हूँ
गुलाब सा खिलता है कोई
कली क्यूँ मुस्कुराई शायद 
भौंरा गुनगुना गया है कोई
तेरी पायल की रुनझुन है
या संतूर बजा गया है कोई

मुकेश इलाहाबादी -------

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