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Friday 25 May 2018

सुबह होते ही तेरी यादों की पगडंडियों पे चलने लगता हूँ

सुबह
होते ही तेरी यादों की
पगडंडियों पे चलने लगता हूँ
और सांझ तक ये सफर जारी रहता है
जब तक कि
खो नहीं जाता हूँ
तेरे ख्वाबों के जंगल में

ओ ! मेरी स्वीट स्वीट दोस्त सुन रही हो न ??

मुकेश इलाहाबादी -----------------------

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