Pages

Tuesday 9 April 2019

तुम्हारे गाल


कपास
के फूल हैं
तुम्हारे गाल
सर्दियों में खिल जाते हैं
स्वेत रूई के फाहों सा
जिन्हे हथेलियों में लेते ही
होता है गुनगुनी गर्माहट का एहसास

और यही तुम्हारे
गाल तपते मौसम में हो जाते हैं
बर्फ के गोले जिन्हे देखने भर से ही
मिल जाती है शीतलता


और - जब तुम हंसती हो तो
लगता है कोई दूधिया झरना फूट पड़ा हो
बर्फ की स्वेत चट्टानों से

सच
सुमी : तुम्हारे गाल
कपास के फूल हैं - बर्फ के गोले हैं
और तुम्हारी हंसी है दूधिया झरना
जिसे तुम ऐसे ही बहते रहने देना

मुकेश इलाहाबादी --------------

No comments:

Post a Comment