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अभिशाप
ही सही जब हमारी
बहिर्यात्रा को कुछ दिनों के लिए
विराम लग ही गया है तो
तो आइये हम
अब कुछ कदम
अंतर्यात्रा की और बढ़ाएं
पूजा की स्थान पे
या बुक सेल्फ में वर्षों से रखी
पुस्तकों को उल्टे पलटें
या अपने मन के पन्नो को पलटें तो अवश्य जानेंगे
की
संसार
का सार "वेदों" में
वेदों का सार "उपनिषदों " में
उपनिषदों का सार "ब्रह्म सूत्र " में
ब्रह्म सूत्र का सार "भगवत गीता " में है
ही सही जब हमारी
बहिर्यात्रा को कुछ दिनों के लिए
विराम लग ही गया है तो
तो आइये हम
अब कुछ कदम
अंतर्यात्रा की और बढ़ाएं
पूजा की स्थान पे
या बुक सेल्फ में वर्षों से रखी
पुस्तकों को उल्टे पलटें
या अपने मन के पन्नो को पलटें तो अवश्य जानेंगे
की
संसार
का सार "वेदों" में
वेदों का सार "उपनिषदों " में
उपनिषदों का सार "ब्रह्म सूत्र " में
ब्रह्म सूत्र का सार "भगवत गीता " में है
और तब हम ये भी जानेंगे
सारा महाभारत हमारे ही अंदर है
सारा महाभारत हमारे ही अंदर है
द्रौपदी - माया
पंचेंद्रिया - पांच पांडव
सौ कौरव - कु -प्रवृतियां
धराष्ट्र - अज्ञान
सृंजय - विवेक
जड़ चेतन के द्वैत को जानने वाला - द्रोणाचार्य (गुरु)
भ्रम और धृण प्रतिज्ञा - भीष्म
शरीर - (कुरु ) क्षेत्र
और
परमात्मा - क्षेत्रज्ञ है
पंचेंद्रिया - पांच पांडव
सौ कौरव - कु -प्रवृतियां
धराष्ट्र - अज्ञान
सृंजय - विवेक
जड़ चेतन के द्वैत को जानने वाला - द्रोणाचार्य (गुरु)
भ्रम और धृण प्रतिज्ञा - भीष्म
शरीर - (कुरु ) क्षेत्र
और
परमात्मा - क्षेत्रज्ञ है
और जिस दिन हम ये सब जान लेते हैं
उस दिन हम अपनी मंज़िल पे पंहुच जाते हैं
तब यात्रा भी - पड़ाव सी लगती है
हर पड़ाव भी - यात्रा का आनंद देती है
उस दिन हम अपनी मंज़िल पे पंहुच जाते हैं
तब यात्रा भी - पड़ाव सी लगती है
हर पड़ाव भी - यात्रा का आनंद देती है
फिर कोई लॉक डाउन नहीं होता
मन - बुद्धि - अज्ञान के सभी
लॉक खुल चुके होते हैं
मन - बुद्धि - अज्ञान के सभी
लॉक खुल चुके होते हैं
तब माटी के दिए नहीं
आत्मा का दिया जलता है
ज्ञान के तेल से
आत्मा का दिया जलता है
ज्ञान के तेल से
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 07 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteaabahr - sandya dainik me is pravishti ko sthan dene ke liye
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (08-04-2020) को "मातृभू को शीश नवायें" ( चर्चा अंक-3665) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ज्ञानपरक सटीक चिंतन।
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनाएँ।
aabhar
Deleteसही कहा अंतर्मन की यात्रा करनी है अब
ReplyDeleteaabahr
Deleteवाह ! अद्भुत ! ज्ञान के तेल से आत्मा का दीपक जलाना है !
ReplyDeleteaabhar Anita jee - post pasandgee ke liye
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