हमको ये भी सलीका नहीं आता
कि मुहब्बत में लड़ा नहीं जाता
कोई सज - संवर के आये मिलने
झूठी सही तारीफ़ है किया जाता
जिस शख्स को मुहब्बत नही तो
हाले -दिल उस्से कहा नहीं जाता
चल आ खुली हवा में घूम आयें
शाम से ही शराब नहीं पिया जाता
मुकेश और भी बहुत से काम हैं
सिर्फ शायरी ही नहीं कहा जाता
मुकेश इलाहाबादी -------------
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