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Tuesday 28 April 2020

मै नदी के बारे में सोचता हूँ

मै
नदी के बारे में
सोचता हूँ
मेरे अंदर एक
नदी बहने लगती है
मै बादलों के बारे में
सोचता हूँ
मेरे अंदर
कुछ रिमझिम - रिमझिम सा
बरसने लगता है
मै फूल के बारे में सोचता हूँ
मेरे अंदर कुछ खिलने
और महकने लगता है
मै
तुम्हारे बारे में सोचता हूँ
मेरे अंदर नदी बहने लगती है
बादल बरसने लगता है
एक फूल खिलने और
महकने लगता है
कहीं तुम
पूरी की पूरी पृकृति तो नहीं हो ??
क्यूँ ?? मेरी सुमी,
मुकेश इलाहाबादी ---------

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