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Saturday 13 April 2013

पत्थर दिल हो तो ऐसा हो,



 
पत्थर दिल हो तो ऐसा हो,
खा के चोट  अपनों से भी हंसता हो
खा के कसम साथ जीने मरने की,
कोई हो जाए बेवफा तजुर्बा हो तो ऐसा हो
चुभे काँटा एक के दूजा हो जाए बेचैन
जमाने मे कोई अपना हो तो ऐसा हो
टूटी हुई कश्ती और बढ़ा दरिया हो,
हौसला पार करने का हो तो ऐसा हो 

मुकेश इलाहाबादी -------------------

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