Pages

Thursday 5 June 2014

चलो कपडे बदल लेते हैं बाहर हो आते हैं

चलो कपडे बदल लेते हैं बाहर हो आते हैं
मुफलिसी सही मुकेश बाज़ार हो आते हैं
न कोई साथी है न कोई संगी है न पैसे हैं
बड़े मनहूस दिन हैं कंही घूम कर आते हैं
दो रुपये के भीगे चने और दो सिगरेट में
मियाँ मुकेश चलो दुनिया देखकर आते हैं
सूना है दुनिया बड़ी रंगी और खूबसूरत है
चलो इसी बहाने सब कुछ देख कर आते हैं
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------

No comments:

Post a Comment