एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday 17 September 2014
तेरे आने की उम्मीद में अब तक ज़िंदा हूँ ,,
तेरे आने की उम्मीद में अब तक ज़िंदा हूँ ,,
वर्ना ये साँसे कब की रुक गयी होतीं मुकेश
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------
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