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Monday 30 November 2015

खिला ताज़ा गुलाब जैसे

खिला ताज़ा गुलाब  जैसे
तुमसे मिलके  लगा ऐसे
है लफ़्ज़े मुहब्बत ज़ुबाँ पे
मगर तुमसे कह दूँ कैसे?
तुमसे मिलने के पहले,,
जाने लोग मिले कैसे -२
अजनबी शहर में, सिर्फ 
तुम हमे लगे अपने जैसे
मुकेश इलाहाबादी -----

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