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Tuesday 24 May 2016

अकेला तू भी नहीं चल रहा होता

अकेला तू भी नहीं चल रहा होता
मेरा भी काफिला न अकेला होता
अग़र तू ज़रा भी इशारा कर देता
न तू तन्हा होता न मैं तन्हा होता
हमारे दरम्याँ रेत् का सहरा नहीं
दरिया- ऍ -मुहब्ब्त बह रहा होता
तेरे बस एक ही इशारे में, मुकेश
फ़लक़ से सितारे तोड़ लाया होता
मुकेश इलाहाबादी ---------------

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