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Thursday 25 June 2020

मासूम इतनी खुशी में लिपट जाती है

मासूम इतनी खुशी में लिपट जाती है
हँसती है तो चाँदनी सी बिखर जाती है
छू देता हूँ जो उसको शरारत से कभी
शरमा के छुई मुई सा सिमट जाती है
ज़माना कहता है वो बहुत जिद्दी है
मैं जो समझाता हूं समझ जाती है
मुकेश बेवज़ह लोग पत्थर समझते हैं
आँच पाते ही मोम सा पिघल जाती है
मुकेश इलाहाबादी -----------------

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