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Saturday 19 September 2020

ज़िंदगी मुस्कुराई कभी - कभी

 ज़िंदगी मुस्कुराई कभी - कभी 

मुझसे मिलने आई कभी कभी 


आफ़ताब दहकता रहा सफर में 

मेरे सिर छाँह आई कभी -कभी  


तीरगी लिए दिए चलता रहा हूँ 

रोशनी झिलमिलाई कभी-कभी 


उदास नज़्म गाती रही ज़िंदगी 

खुशी से गुनगुनाई कभी - कभी 


करवट बदलते बीत जाती है शब 

आँखों में नींद आयी कभी -कभी 


मुकेश इलाहाबादी ---------------

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