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Tuesday 10 November 2020

मन के मानसरोवर मे

मन
के मानसरोवर मे
यादों की
इक झील है
जिसमें तुम्हारे नाम का
ब्रह्म कंवल खिला है
जो कभी मुर्झाता नहीं
झील कभी
सूखती नहीं
(सुमी,, तुम्हीं से)
मुकेश इलाहाबादी,,,,,,

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