बैठे ठाले की तरंग ------------
सुबह से
‘कुछ’ नही किया
‘कुछ’ करने की इच्छा भी नही
सिर्फ इच्छा से क्या होता है ?
कुछ करना भी तो होता है
लिहाजा पहले तय कर लिया जाय
यह ‘कुछ करना’ क्या होता है
‘कुछ’ करने का मतलब
‘कुछ भी’ किया जाय
जैसे कि किताब पढ़ी जाये
चाय पिया जाय
कविता लिखा जाये
ठिठोली किया जाये
जुगाली किया जाये
चुम्मा चाटी किया जाये
न समझ आये तो
‘कुछ’ और किया जाये
जैसे मजबूरी किया जाये
बाबूगिरी किया जाये
मेहनत मजदूरी किया जाये
लोहारगिरी किया जाये
या फिर नेतागीरी, गुण्ड़ागीरी
जैसा कुछ किया जाये
नही तो
ध्यान व्यान किया जाये
पूजा पाठ किया जाये
यहां आया जाये
वहां जाया जाये
इसे गरियाया जाये
उसे गरियाया जाये
या फिर खुद को महिमामण्ड़ित किया जाये
फिर भी ‘कुछ’ न समझ आये तो
उठाके बंदूक सबको
गोली मारी जाये
फिर बैठ कर ‘कुछ न’ किया जाये
मुकेश इलाहाबादी
01.06.2011
सुबह से
‘कुछ’ नही किया
‘कुछ’ करने की इच्छा भी नही
सिर्फ इच्छा से क्या होता है ?
कुछ करना भी तो होता है
लिहाजा पहले तय कर लिया जाय
यह ‘कुछ करना’ क्या होता है
‘कुछ’ करने का मतलब
‘कुछ भी’ किया जाय
जैसे कि किताब पढ़ी जाये
चाय पिया जाय
कविता लिखा जाये
ठिठोली किया जाये
जुगाली किया जाये
चुम्मा चाटी किया जाये
न समझ आये तो
‘कुछ’ और किया जाये
जैसे मजबूरी किया जाये
बाबूगिरी किया जाये
मेहनत मजदूरी किया जाये
लोहारगिरी किया जाये
या फिर नेतागीरी, गुण्ड़ागीरी
जैसा कुछ किया जाये
नही तो
ध्यान व्यान किया जाये
पूजा पाठ किया जाये
यहां आया जाये
वहां जाया जाये
इसे गरियाया जाये
उसे गरियाया जाये
या फिर खुद को महिमामण्ड़ित किया जाये
फिर भी ‘कुछ’ न समझ आये तो
उठाके बंदूक सबको
गोली मारी जाये
फिर बैठ कर ‘कुछ न’ किया जाये
मुकेश इलाहाबादी
01.06.2011
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