एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Friday, 24 August 2012
महफ़िल में आपका आना तो तय था
महफ़िल में आपका आना तो तय था
बिजलियाँ इस क़दर गिराएंगे कंहा तय था ?
ये शोखियाँ, ये बांकपन और मचलना
ये घटा बन बन के बरसेंगे कंहा तय था ?
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
View mobile version
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment