एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Tuesday, 28 August 2012
जब हमारा हमसफ़र सबसे जुदा है तो कारवां में कैसे चलूँ
जब हमारा हमसफ़र सबसे जुदा है तो कारवां में कैसे चलूँ
सांझ हो गयी हो या सहर चश्मे जाना तेरे बगैर कैसे चलूँ ?
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------------
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
View mobile version
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment