इन्सानियत क़ैद है तहखानो मे
हम ढॅढते फिर रहे बियाबानो मे
तुम चॉद ढूढते हो महज़बीनो मे
शुकूँ मिलता नही इन दुकानो मे
हौसला ओर उम्मीद का दिया है
रात तभी फिर रहे हैं तूफानो मे
तिश्नगी मिटाना चाहते हो मियां
फिर रहे हो तुम यहां मैखानो मे
जो मजा है यार फकीरी मे, वो
मजा न मिलेगा इन खजानो मे
शहर मे इन्सानियत ढूढते हो ?
मुर्दे रहा करते हैं इन मकानो मे
यार तुम बडे अजीब हो मुकेश
खुदा ढूंढ रहे हो इन बुतखानो मे
मुकेश इलाहाबादी ----------------
हम ढॅढते फिर रहे बियाबानो मे
तुम चॉद ढूढते हो महज़बीनो मे
शुकूँ मिलता नही इन दुकानो मे
हौसला ओर उम्मीद का दिया है
रात तभी फिर रहे हैं तूफानो मे
तिश्नगी मिटाना चाहते हो मियां
फिर रहे हो तुम यहां मैखानो मे
जो मजा है यार फकीरी मे, वो
मजा न मिलेगा इन खजानो मे
शहर मे इन्सानियत ढूढते हो ?
मुर्दे रहा करते हैं इन मकानो मे
यार तुम बडे अजीब हो मुकेश
खुदा ढूंढ रहे हो इन बुतखानो मे
मुकेश इलाहाबादी ----------------
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