Pages

Thursday, 13 September 2012

तितलियों से दो पंख मांग लाया हूँ

तितलियों से दो पंख मांग लाया हूँ
जिस्म नहीं, रूह से उड़ के आया हूँ

यूँ तो तेरे दर मै खाली हाँथ आया हूँ
पै साथ मुहब्बत की सौगात लाया हूँ

देख कर आंसुओं  से  तरबतर  चेहरा
तेरे लिए टोकरा भर मुस्कान लाया हूँ

श्रींगार तेरा मै अपने  हाँथ  से  करूंगा
बेला चमेली हर श्रंगार साथ लाया हूँ

तेरा अबकी सावन रीता ना जाएगा
साथ अपने  प्रेम की बयार लाया हूँ

मुकेश इलाहाबादी ----------------------

No comments:

Post a Comment