एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 3 October 2012
दिल मे कंही तो खुलूश ऐ मुहब्बत रही
दिल मे कंही तो खुलूश ऐ मुहब्बत रही
तभी तो कभी दोस्ती कभी दुश्मनी रही
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