एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 26 November 2012
ज़िन्दगी हादसों के बगैर पूरी हो नहीं सकती
ज़िन्दगी हादसों के बगैर पूरी हो नहीं सकती
इंसा वो है जो हादसों में भी हंस के गुज़र जाए
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------
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