हम भी अपनी शायरी में नाज़ुकी ले के आये हैं,,,
हम भी अपनी शायरी में नाज़ुकी ले के आये हैं,,,
कल कुछ हुस्न वालों से मुलाक़ात कर के आये हैं
वो फूल बन के महका किये सरे आम गुलशन में
हम भी भँवरे सा उनके इर्द गिर्द मंडरा के आये हैं
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------
No comments:
Post a Comment