अधूरे वज़ूद के साथ ज़मी के चारों और घूमता है चाँद माह भर
फिर रात पूनम की पूरा हो, जी भर चांदनी लुटाता है रात भर
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------------------------
फिर रात पूनम की पूरा हो, जी भर चांदनी लुटाता है रात भर
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------------------------
No comments:
Post a Comment