हवा की रवानी है हमारी ज़िंदगानी
बाद मरने के कोई निशाँ न पाओगे
गर कभी ढूंढने भी जाओगे हमको
खुशबू सा अपनी साँसों में पाओगे
मुकेश इलाहाबादी -------------------
बाद मरने के कोई निशाँ न पाओगे
गर कभी ढूंढने भी जाओगे हमको
खुशबू सा अपनी साँसों में पाओगे
मुकेश इलाहाबादी -------------------
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