चल रहे हैं
रुक रहे हैं
बिन आग
जल रहे हैं
बिन नदी
बह रहे हैं
जीवन पर्वत
चढ़ रहे हैं
दर्द ही दर्द
सह रहे हैं
तुमसे प्यार
कर रहे हैं
मुकेश इलाहाबादी ---
रुक रहे हैं
बिन आग
जल रहे हैं
बिन नदी
बह रहे हैं
जीवन पर्वत
चढ़ रहे हैं
दर्द ही दर्द
सह रहे हैं
तुमसे प्यार
कर रहे हैं
मुकेश इलाहाबादी ---
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