तेरे लब का गीत बनूँ
मै तेरा मनमीत बनूँ
खामोश निगाहों की
इक नई तहरीर बनूँ
खोल दरीचा तू अपना
तेरे दर की धूप बनूँ
मत्ला मक़्ता बन जा
तेरे लिए ग़ज़ल बनूँ
ग़र तू शम्मा बन जा
मुकेश तेरा दीप बनूँ
मुकेश इलाहाबादी ----
मै तेरा मनमीत बनूँ
खामोश निगाहों की
इक नई तहरीर बनूँ
खोल दरीचा तू अपना
तेरे दर की धूप बनूँ
मत्ला मक़्ता बन जा
तेरे लिए ग़ज़ल बनूँ
ग़र तू शम्मा बन जा
मुकेश तेरा दीप बनूँ
मुकेश इलाहाबादी ----
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