तेरी महफ़िल में इक बार जो आये है
ता उम्र फिर वो कंही और न जाए है
यूँ तो ग़मज़दा रहता है ये दिल पर
जब भी तुझसे मिले ये मुस्कुराये है
तेरी यादों के सिवा, पास कोई नहीं
फिर ये कानो में कौन गुनगुनाए है
जाने कौन सी झील है या दरिया है
तेरी आँखों में उतरे तो डूब जाये है
न आने को कह के गया था मुकेश
तेरी कशिश, फिर से खींच लाए है
मुकेश इलाहाबादी ------------------
ता उम्र फिर वो कंही और न जाए है
यूँ तो ग़मज़दा रहता है ये दिल पर
जब भी तुझसे मिले ये मुस्कुराये है
तेरी यादों के सिवा, पास कोई नहीं
फिर ये कानो में कौन गुनगुनाए है
जाने कौन सी झील है या दरिया है
तेरी आँखों में उतरे तो डूब जाये है
न आने को कह के गया था मुकेश
तेरी कशिश, फिर से खींच लाए है
मुकेश इलाहाबादी ------------------
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