हम मेरे नहीं, ग़ालिब नही सौदा नही
हम मेरे नहीं, ग़ालिब नही सौदा नही
ग़ज़ल कहने का फन हमें आता नही
चाँद रूठा, आफताब रूठा, हवा रूठी,
रूठे हैं क्यूँ, वज़ह कोइ बताता नही,,
इश्क से भी तुम मरहूम हुए मुकेश
तहजीब ऐ मुहब्बत तुम्हे आया नही
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
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