एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 5 November 2012
मेरे वजूद पे भी कुछ् काँटे उग आये हैं
मेरे वजूद पे भी कुछ् काँटे उग आये हैं
अब तो तुम फूल सा खिल जाओ न .....
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
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