यूँ ही,
वज़ह- बेवज़ह
बैठे रहना
अच्छा लगता है
सिर्फ और सिर्फ
तेरे बारे में
सोचते रहना
अच्छा लगता है
बंद खिड़की, दरवाज़े
और परदे के पीछे
तनहा रहना
अच्छा लगता है
तेरे ख्यालों में ही
खोये रहना
अच्छा लगता है
मुकेश इलाहबादी ----
वज़ह- बेवज़ह
बैठे रहना
अच्छा लगता है
सिर्फ और सिर्फ
तेरे बारे में
सोचते रहना
अच्छा लगता है
बंद खिड़की, दरवाज़े
और परदे के पीछे
तनहा रहना
अच्छा लगता है
तेरे ख्यालों में ही
खोये रहना
अच्छा लगता है
मुकेश इलाहबादी ----
No comments:
Post a Comment