आओ हंसा हंसाया जाए
ग़म को दूर भगाया जाए
जंहा नदियां नहीं बहतीं
वहाँ नहर निकला जाए
दुनिया पत्थर की हो गयी
ख़ुद को मोम बनाया जाए
धूप ने गुलशन जला दिया
कुछ नए फूल खिलाया जाए
तुम्हारी बोली बानी मीठी है
चेहरे से नमक चुराया जाए
मुकेश इलाहाबादी -----------
ग़म को दूर भगाया जाए
जंहा नदियां नहीं बहतीं
वहाँ नहर निकला जाए
दुनिया पत्थर की हो गयी
ख़ुद को मोम बनाया जाए
धूप ने गुलशन जला दिया
कुछ नए फूल खिलाया जाए
तुम्हारी बोली बानी मीठी है
चेहरे से नमक चुराया जाए
मुकेश इलाहाबादी -----------
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