कहो तो अपना सन्नाटा बाँट दूँ
सीली दीवार उजड़ा कमरा बाँट दूँ
उम्र भर साथ -साथ रहने के बाद
क्या क्या भला बुरा कहा बाँट दूँ
मेरे पास थोड़ी खुशी ढेरों ग़म हैं
अपने सीने में फैला धुँआ बाँट दूँ
तुम भले आदमी लगते हो दोस्त
गर सुनो तो अपना दुखड़ा बाँट दूँ
तुम भी तो बहुत तनहा हो मुकेश
तुम्हे भी यादों का खिलौना बाँट दूँ
मुकेश इलाहाबादी ----------------
सीली दीवार उजड़ा कमरा बाँट दूँ
उम्र भर साथ -साथ रहने के बाद
क्या क्या भला बुरा कहा बाँट दूँ
मेरे पास थोड़ी खुशी ढेरों ग़म हैं
अपने सीने में फैला धुँआ बाँट दूँ
तुम भले आदमी लगते हो दोस्त
गर सुनो तो अपना दुखड़ा बाँट दूँ
तुम भी तो बहुत तनहा हो मुकेश
तुम्हे भी यादों का खिलौना बाँट दूँ
मुकेश इलाहाबादी ----------------
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