बार- बार आना और जाना है
दुनिया भी इक सरायखाना है
है दौलत के नशे में हर शख्श
मियाँ मग़रूर बड़ा ज़माना है
नज़र में तेरी शुरूर है नशा है
आखें हैं या कि शराबखाना है
रहता है जिस घर में मेरा यार
अपने लिए तो वो बुतखाना है
मुकेश अपने बदन में क़ैद हूँ
जिस्म बन गया क़ैदखाना है
मुकेश इलाहाबादी ------------
दुनिया भी इक सरायखाना है
है दौलत के नशे में हर शख्श
मियाँ मग़रूर बड़ा ज़माना है
नज़र में तेरी शुरूर है नशा है
आखें हैं या कि शराबखाना है
रहता है जिस घर में मेरा यार
अपने लिए तो वो बुतखाना है
मुकेश अपने बदन में क़ैद हूँ
जिस्म बन गया क़ैदखाना है
मुकेश इलाहाबादी ------------
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