हज़ारों ख़्वाब देखती हुई आँखें
जाने क्या -२ सोचती हुई आँखें
ज़िदंगी के तमाम रंग समेटे हुए
सितारों के पार देखती हुई आँखें
जाने क्या जादू है इन आँखों में
सब को मोहित करती हुई आँखें
मुकेश इलाहाबादी --------------
जाने क्या -२ सोचती हुई आँखें
ज़िदंगी के तमाम रंग समेटे हुए
सितारों के पार देखती हुई आँखें
जाने क्या जादू है इन आँखों में
सब को मोहित करती हुई आँखें
मुकेश इलाहाबादी --------------
No comments:
Post a Comment